इच्छा शक्ति का विकास किसी भी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अदम्य इच्छा शक्ति की भी बहुत बड़ी आवश्यकता है,यहां हम पाते हैं कि गुरु द्रोणाचार्य के द्वारा एक लव्या को धुर्नविर्ध की शिक्षा देने से मना किए जानें पर वह निराश
1नहीं हुआ क्योंकि उससे एक शक्ति शाली आत्मबल और तीव्र इच्छा शक्ति थी l यदि उसमें इन दोनों बातों का अभाव
इच्छा शक्ति का विकास
होता तो निश्चित रूप से वह निराश होकर धनुविर्घ की शिक्षा प्राप्त करने की इच्छा ही त्याग देता परन्तु यहां दो बातें उसके मन में थीं l पहली यह कि उसकी इच्छा शक्ति धनुवीर्ध की शिक्षा पाने के लिए इतनी बलवती थी, iकि उसका एक मात्र कल्पित आश्रम, इच्छा शक्ति का विकास
जहां से उसे धनुविर्ध की शिक्षा मिल सकती थी, वह द्वारा भी उसके लिए बंद हो गया फिर भी उसने अपने इच्छा को कठित नहीं होने दिया अर्थात उसने किसी न किसी कीमत पर धनुविर्धा सीखने की अपनी प्रबल इच्छा को मन में बनाए ही रखी दूसरी यह
कि उसके पास शक्ति शाली आत्मबल था, जिसने उसे मार्ग से भटकने नहीं दिया वह सोचता रहा कि कहीं न कहीं मार्ग तो मिल कर ही रहेगा मुझे किसी तरह से अपने लक्ष्य के लिए मार्ग तलाश करके ही दम लेना है, और मैं ऐसा कर सकता हूं ,कार्य का सूत्र
अंत धैर्य के साथ वह रात भर मार्ग तलाशता रहा उसे स्वाध्याय का अदभुत विचार सूझा जिससे उसे अपनी मंजिल प्राप्त हुई अंत उसे मार्ग मिल ही गया l उस समय पर वह सचमुच में विश्व का सबसे बड़ा धनुधरा था l परन्तु द्रोणाचार्य के द्वारा छल पूर्वक, इच्छा शक्ति का विकास
उसके दाएं हाथ अंगूठा कटवा कर उसकी धनुविर्ध को अर्जुन से कमजोर बनाकर अर्जुन को सबसे बडा धनुधारा बनाया गया लेकिन फिर भी एक लव्य जैसा संयम अर्जुन कभी नहीं सीखा पाया तभी तो महा भारत की समाप्ति के बाद भीलों ने गपियों
को लूटा कृष्ण पर बाण मार कर उनकी हत्या कर दी अर्जुन देखता का देखता रह गया और कुछ भी नहीं कर सका इस तरह इच्छा और आत्मबल आपके लक्ष्य प्राप्ति के लिए अत्यन्त आवश्यक तत्व है ,कार्य का सूत्र
इच्छा शक्ति का विकास
इसके साथ साथ सबसे आवश्यक बात है, इच्छा शक्ति के दिघर्युकरण की किसी भी कार्य के प्रारंभ में सभी की इच्छाएं लक्ष्य प्राप्ति के प्रति बहुत बलवती होती है, परन्तु समय के साथ वह धीमी भी पड़ती जाती है, ध्यान रखने की बात है कि सफलता,
एक लंबे समय तक किए जाने वाली साधना की मांग करती है, कई कई बार असफलताएं प्राप्त होती है, तब कही जाकर बड़ी मुश्किल के बाद अंत में सफलता मिल पाती है, परन्तु यदि आपकी इच्छा शक्ति दिघर्यायु नहीं नहीं है तो आप एक लंबे समय
तक कठोर श्रम साधना नहीं कर सकते इसलिए आपको चाहिए कि अपनी इच्छा शक्ति को निरन्तर तरोताजा और बलवती बनाए रखें इच्छा शक्ति में निरन्तर उत्साह का मधुर शीतल जल सिंचित करते रहें ताकि आपकी इच्छा शक्ति समय के अनवरत धूप में इच्छा शक्ति का विकास
मुरझाने न पाए और आप सफलता मिलने तक अनवरत श्रम साधना में संलग्न रहे
इच्छा शक्ति के अभाव वा इसके विद्यमान होने पर आपकी सफलता पर क्या प्रभाव पड़ता है, आइए इसे नेपोलियन के जीवन में घटी एक घटना के उदाहरण द्वारा समझने का प्रयास करते हैं l नेपोलियन अपने दुश्मन से लगातार सात बार बार की पराजय
ने उसकी इच्छा शक्ति को नष्ट कर दिया था l गुफा में छिपा निराश बैठा नेपोलियन की आंखों के सामने एक नजारा दिखाईं पड़ा वह देखता है कि कि एक मकड़ी गुफा की दीवार के एक कोने पर अपना जाल बना रही है, मकड़ी बार बार जाल बनाने का
प्रयास करती हूं बार बार जाल बिगड़ जाने पर वह पुन प्रयास करती और जाल बनाती पर जाल पुन बिगड़ जाता इस तरह से मकड़ी बार बार जाल बनाती रही और जाल बिगड़ता रहा अंत एक बार जाल बन ही गया मकड़ी खुश वह मौज ले अपने जाल में
कीड़ों मकोड़ों को फंसा फसा कर खाने लगी ध्यान से इस घटना को देख रहे नेपोलियन के मन में अचानक विचार आया ओह मैं तो मकड़ी के बराबर भी बुद्धि नहीं रखता और सचमुच में मैं विजय श्री प्राप्त करने के लायक हूं, भी या नहीं शासक होने का क्या
अर्थ है, मुझे धिक्कार है, जो मैं आज अपनी जान बचाने की खातिर इस गुफा में आकर छिप गया हूं, मैं अब कुछ नया करूंगा l https://www.linkedin.com/in/rekha-devi-32507328b?utm_source=share&utm_campaign=share_via&utm_content=profile&utm_medium=android_app
मकड़ी से शिक्षा प्राप्त करने पर नेपोलियन की इच्छा शक्ति पुन जाग पड़ी उसने लंबी सीस लेते हुए हुंकार भरी दीवाल का सहारा छोड़ दिया और अकड़ कर बैठ गया l फिर सोचने लगा मैं सात बार युद्ध हारा तो क्या जब एक मकड़ी अन्त अपना लक्ष्य प्राप्त
कर सकती है, तो मैं तो एक शक्ति शाली बुद्धि बल सम्मान शासक हूं, मैं अब फिर से प्रयास करूंगा और आठ वी बार क्या मैं जीत के लिए तब तक प्रयास करता रहूंगा जब तक मैं इस युद्ध को जीत नहीं लेता l मैं किसी भी कीमत पर दुश्मन से विजय,कार्य का सूत्र
प्राप्त करके ही दम लूंगा जब व्यक्ति में अपने आप पर इस तरह से पूर्ण भरोसा उत्पन्न हो जाएं इसी स्थिति को आत्मबल पैदा होने कहा जाता है , वह वहां से वापस आया और गूप्त रुप से अपनी पूरी काबिलियत और मनोयोग के साथ अपनी सेना का पुनर्गठन
करना और उसे उपर्युक्त प्रषिक्षण देना प्रारंभ कर दिया पूरी तैयारी हों जाने पर दुश्मन पर धावा बोला दिया और करिश्मा हुआ कि सात बार युद्ध हर चुका नेपोलियन इस बार चुका नेपोलियन इस बार युद्ध जीत गया यह है, चमत्कार आत्मबल और इच्छा शक्ति,कार्य का सूत्र
का और उसके दिघर्यियां की व्यक्ति के मार्ग में कई कई बार विकराल रूप की असफलताएं आती रहती है, और उसका मनोबल तोड़ देती है, धीरे धीरे उसे उसे लगने लगता है, कि अब उसे कभी भी सफलता नहीं मिल सकती और वह मानसिक रूप से
जोकर लक्ष्य के लिए प्रयास करना छोड़ने का मन बनने लगता है l जबकि सफलता उससे कुछ ही दूरी पर होती है l यदि आप किसी लक्ष्य के लिए कई साल से लगातार प्रयास कर रहे हैं , और निरंतर असफल हो रहे हैं, तो इसका यह मतलब कतई नहींं,https://janavicomputercourse.com/2024/05/जीवन-में-सफलता-के-लिए-क्या/
है कि आप अगले प्रयासों में सफल नहीं हो सकते हैं , हो सकता है कि अब तक के तीन चार प्रयासों से आपमें 80/90/प्रतिशत तक योग्यता आ गई हो और आप 10/20/प्रतिशत योग्यता की कमी कारण असफल हो रहे हो बस आपमें 10/20/प्रतिशत,कार्य का सूत्र
योग्यता और आ जाए हो आप सफल हो सकते हैं l पर आप का कार्य को उस समय छोड़ रहे रहे हैं, जब आपको केवल 10/20/प्रतिशत और योग्यता की आवश्यकता है l बहुत संभव है कि अगले एक या दो प्रयासों में आप इतनी योग्यता
अर्जित कर लेंगे जब आप केवल चार वर्षो में 80/90/प्रतिशत योग्यता प्राप्त कर सकते हैं तो शेष 10/20/, प्रतिशत से भी अधिक योग्यता अगले दो वर्षो में आप प्राप्त कर लेंगे और आपकी योग्यता 100/प्रतिशत तक पहुंच सकती है, और यही
वह समय होगा जब आप सफल हो जायेंगे यहीं पर आपकी सावर्धिक महत्वपूर्ण अवश्यकता है, अपनी इच्छा शक्ति को दाघर्यु बनाए रखने की l मान लीजिए कोई प्रतियोगी चार वर्षों से सिविल सेवा परिक्षाओं की तैयारी कर रहा है , इच्छा शक्ति का विकास
वह मुश्किल से प्रारंभिक परीक्षा में तो चयनित हो गया परन्तु मुख्य परीक्षा में उसका चयन नहीं हो पाया फिर अगले वर्ष वह मुख्य परीक्षा में चयनित हुआ पर साक्षात्कार में चयनित नहीं हो पाया कभी कभी कोई प्रतियोगी कई कई बार मुख्य परीक्षा में चयनित,कार्य का सूत्र
हो जाता है , पर वह बार बार साक्षात्कार में जाकर अटक जाता है l जब असफलता की यह प्रक्रिया बार बार उसके हाथ लग रही होती है, तो ऐसी स्थिति में उसका आत्मबल डगमगाने लगता है, उसे लगने लगता है,कि सिविल सेवा परीक्षा ओ में वह सफल, इच्छा शक्ति का विकास
नहीं हो पायेगा जो लोग सफल होते हैं, वे कोई विशिष्ट प्रतिभा सम्मान लोग होते होंगे अब वह सिविल सेवा की तैयारी करना छोड़ किसी अन्य छोटी मोटी नौकरी प्राप्त करने के लिए प्रयास करने लगता है, पर अंत उसे उसमें भी सफलता नहीं मिल पाती
अब दिखाए ऐसे समय में तीव्र इच्छा शक्ति वा आत्मबल का धनी प्रतियोगि क्या करेगा वह बार बार की असफलताओं की स्थिति में भी अन्य परीक्षाओं की तैयारी की बात नहीं सोचेगा बल्कि वह उस स्थिति में धैर्य के साथ अपनी समीक्षा करेगा या एक्सपर्ट से इच्छा शक्ति का विकास
इच्छा शक्ति का विकास
अपनी समीक्षा करवाएगा कि उसमें किन किन बिंदुओं पर कमजोरी है, वह पुन अपनी कमजोरी बिंदुओं को सुदृढ़ बनने के लिए सुनियोजित परिश्रम करेगा करेगा और अगले दो एक
वर्षो में उसका चयन हो जायेगा यदि आप बाद कभी अपना लक्ष्य मत बदलिए धैर्य और निष्प क्षता के साथ अपनी कमी को खोजिये और उसे दूर किजिए एक दिन सफलता मिलकर
रहेगी lइच्छा शक्ति का विकास किसी भी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अदम्य इच्छा शक्ति की भी बहुत बड़ी आवश्यकता है,यहां हम पाते हैं कि गुरु द्रोणाचार्य के द्वारा एक लव्या को धुर्नविर्ध की शिक्षा दे इच्छा शक्ति का विकास
कार्य के प्रति लगन
किसी कार्य के प्रति अटूट प्रेम वा उसमें डूब जाना अर्थात् तन्मयता ही लगन है, लगन वह स्थिति होती है,, जब व्यक्ति किसी कार्य की धुन में इतना मस्त हो जाता है, कि वह अपने अन्य सारे कार्यों को भूल जाता है, यहां तक कि उसको अपनी दिनचर्या का भी कार्य का सूत्र
ख्याल नहीं रह पाता उसे रात दिन सोते जागते हर पल बस उसका लक्ष्य ही दिखाई पड़ता है l वह खाना खाए सोए जागे यात्रा करे या कुछ भी करे तब भी वह लक्ष्य के बारे में ही सोचता रहता है l उसे रात में सोते समय लक्ष्य प्राप्ति के सपने आते हैं,
उल्लेखनीय है कि कई बार बहुत से वैज्ञानिक को सपने में ही अपने कुछ जटिल प्रश्नों के उत्तर प्राप्त हुए और उनका अभीष्ट खोज या लक्ष्य पूरा हो गया l कई बार आप महसूस किए होगे कि आप अध्ययन में संलग्न थे, या गीत गा रहे थे कार्य का सूत्र
या कुछ अन्य कार्य में खोए हुए थे, उसी समय पर आपके सामने कोई वक्ति आकार कब से खड़ा है, या आपके सामने से कोई व्यक्ति गुजर गया आप उसे देख ही नहीं पाए आपसे कोई इस बात की चर्चा करता है, तो आप स्वयं ही आश्चर्य करने लगते हैं,कार्य का सूत्र
कि मैने तो देख ही नहीं पाया या कभी कभी आप मीलों दूर की आवाज साफ साफ सुन लेते हैं, यह सब क्या है, यह कोई आश्चर्य नहीं बल्कि लगन है, जब आपका ध्यान सिर्फ और किसी आवाज को सुनने में ही केन्द्रित हो जाता है, तो आप मीलों दूर की
आवाज को सुन लेते हैं या आपके सामने से कोई गुजर जाता है और आप उसे देख भी नहीं पाते हैं इसी को हम दुसरी भाषा में कह देते हैं कि पूरी की पूरी शक्ति सिर्फ अपने लक्ष्य पर केन्द्रित थी l जिस प्रकार सूर्य के किरणों को किसी विषेष लेंस द्वारा
किसी कागज पर एक बिन्दु पर केन्द्रित कर दिया जाता है, तो कागज में आग पैदा हो जाती है, उसी प्रकार किसी भी कार्य में शरीर की सारी शक्ति को केन्द्रित कर देने से अभीष्ट कार्य में सफलता मिल जाती है ,कार्य का सूत्र
कभी कभी लोगों के गिरने आदि से जरा सा धक्का लगाता है, और उनका हाथ टूट जाता है, परन्तु जब लोग उसी हाथ को जूडो कराटे में इस्तेमाल करते हैं तो वह फौलाद जैसे मजबूत हो जाता है l इसका कारण यह है कि जब उसकी सारी शक्ति पूरे शरीर
अटूट लगन का एक और उदाहरण देखिए आज दुनियां के सरताज कहे जाने वाले बिलगेट्स जब बीस साल के थे तो वे माइक्रोसॉफ्ट नामक कंपनी में एक साधारण कर्मचारी के रुप में भर्ती हुए थे l वे कंप्यूटर आपरेटिंग का काम करते थे l
पर अपने काम में इतना लीन रहते थे l उनको नहाना खाना बाल कटवाना वा दाढ़ी बनाना भी भूल जाता था l महीनों वे कमरे से बाहर नहीं निकलते थे l उनका चेहरा कुरूप हो जाता था l और बाल वा दाढ़ी बेतरतीब ढंग से बढ़ जाते थे l
उनके कमरे में एक चारपाई कंप्यूटर वा काम करने के आऊजरों के अलावा कोई नहीं चीज नहीं होती थी l यहां तक कि खाना भी होटल से आता था l कुछ दिनों बाद कार्य के प्रति उनकी गहरी रुचि और लगन चर्चा कंपनी के उच्चाधिकारियों, में होने लगी
और उन्होंने बिलगेट्र्स को लाभांश प्राप्त कर्ताओं की सूची में शामिल कर लिया गया धीरे धीरे उनके मेहनत वा लगन ने रंग लाया और उन्हे कंपनी का मैनेजर बना दिया गया l आज वे मैक्रोशाफ्ट कंपनी के
ऑनर है, और इस मुकाम पर पहुंच चुके हैं,कि बड़े बड़े राष्ट्रा ध्यक्ष भी उनके सामने हाथा जोड़ने लगते हैं, यह है कार्य के प्रति निष्ठा और लगन का परिणाम कार्य का सूत्र
एक बार महान वैज्ञानिक न्यूटन अपने विचारों और कार्यों में खोए हुए थे l उसी समय एक व्यक्ति ने उनके एक मित्र के आने की सूचना दी उन्होंने सूचना देने वाले से कहलना दिया बस बस केवल पांच मिनट इंतजार करें परन्तु वे अपने कार्यों में इतने ज्यादा
खोए हुए थे l कि घंटों बीत जाने पर भी वे बाहर नहीं निकल सके रसोइए ने उनका भोजन भी लगा दिया था और उन्हें खाने के लिए बुलाया पर वे तब भी निकले मित्र अन्दर आ कर बैठा था l ज्यादा समय बीत जाने पर मित्र को भूख का अहसास हुआ और
उसने रसोई ने रखा हुआ खाना खा लिया बाद में जब न्यूटन बाहर निकले तो मित्र से बोले बस पांच मिनट और इंतजार किजिए मैं खाना खा लेता हूं, फिर आपके साथ बैठता हूं, वे रसोई में गए पर वहां टिफिन खाली था l जिससे उन्हें लगा कि हो सकता है ,कार्य का सूत्र
वे खाना खा चुका हों पर भूल गए हैं, उन्होंने मित्र से आकर कहा किजिए मैं तो भूल ही गया था l कि मैं खाना खा चुका हूं, यह है, तन्मयता का प्रभाव कार्य के प्रति सच्चा लगन न्यूटन अपने कार्यों में इतनी लीन रहते थे कि इस समय वे दुनिया के अन्य कार्यों,
को भूल जाते थे l यहां तक कि खाना पीना भी भूल जाते थे l लोगों से मिलना जुलना आदि सब कुछ भूल जाते थे l
इसी तरह से पूर्व में उल्लिखित घटना में जब गुरु द्रोणाचार्य लंबे समय तक राजकुमारों के अस्त्र शास्त्र चलाने की शिक्षा देने के बाद एक दिन वे उनकी परीक्षा ले रहे थे l अर्जुन की बारी आई उसने पड़े पर बैठी चिड़िया पर वरण का निशाना साधा गुरु द्रोणाचार्य ने पूछा अर्जुन इस समय तुम्हें क्या क्या दिखाईं पड़ रही है ,कार्य का सूत्र
अर्जुन ने कहा गुरुदेव मुझे इस समय सिर्फ चिड़िया की आंख दिखाई पड़ रही है l द्रोणाचार्य ने कहा अर्जुन बाण आप छोड़ दो अर्जुन ने बाण छोड़ दिए और देखते देखते चिड़िया जमीन पर आ गिरी l
ध्यान देने की बात है कि ऐसे लोग आलोचना और प्रशंसा की परवाह किए बिना इमानदारी पूर्वक अपने कार्यों में मस्त रहते हैं, और इनके संयोग से कार्य में एकदम से उछाल आ जाता है, आपको भी अपनी सफलता के लिए बिलगेड्र्स और न्यूतन जैसे
लगन पैदा करना चाहिए यदि आप ऐसा कर सकें तो एक दिन आप भी बिलगेट्रस या न्यूटन बन सकते हैं, आप में भी अपने कार्य को संपादित करने की अद्र्भुत क्षमताएं भरी पड़ी है l इसमें सन्देह नहीं है l बस आप अपनी अलौकिक शक्ति शाली का प्रयोग,कार्य का सूत्र
किजिए अपनी क्षमताओं को जागृत कीजिए उन्हें विकसित किजिए सफलता आपका इन्तजार करती हुई दिखेगी
Hii friends is post KO pdhne ke baad comments jaroor karna