गरीबी के क्या कारण है आलसी ही गरीबी है उस मनुष्य से अधिक गरीब कोई नहीं जिसके गरीब कौन होता है पास है l गरीब की परिभाषा बड़ी अजीब है l जिसके पास कुछ नहीं वह अमीर है l
तथा जिसके पास सबकुछ हो वह गरीब है l इस परिभाषा से आप चौकिए नहीं l एक विरक्त संन्यासी के पस कुछ नहीं होता l वह केवल पहनने के लिए कौपीन और पानी पीने पीने तथा भिक्षा ग्रहण करने के लिए कमंडल रखता है l गरीबी के क्या कारण है
भिक्षा भी नित्य मांगकर लेता है, एक दिन भिक्षा मिल भी गई तो दूसरे दिन की भिक्षा का ठिकाना नहीं चाय पीने के लिए तो वह पैसा रखता ही नहीं l
गरीबी के क्या कारण है
केवल कौपीन एवं कमंडल रखने वाले संन्यासी का चेहरा दिखाए उसकी प्रसन्नता एवं संतुष्टि देखकर संपन्न भी उससे ईश्वर करने लगेंगे ऐसे संन्यासी की प्रसन्नता का राज है, उसकी संतुष्टि अन्य लोगों के संग्रह के सामने उसका संग्रह देखेंगे तो आपको
संन्यासी दुनिया का सबसे बड़ा गरीब व्यक्ति लगेगा लेकिन वास्तव में वह राजाओं का भी राजा है और शहंशाही का भी शहंशाह दूसरी तरफ राजा के पास सबकुछ होते हुए भी गरीब है,
कारण वह हमेशा चिंता में रहता है l उसकी इच्छाओं एवं आकांक्षाओं ने उसको गरीब बना दिया इन्हीं के कारण वह हमेशा असंतुष्ट रहता है l अंत ध्यान रखें संतुष्टि ही अमीरी है एवं असंतुष्टि ही गरीबी l
एक महात्मा ने एक सूत्र दिया आलस्य ही गरीबी है तथा परिश्रम ही पूंजी है l यह सूत बड़े काम का है l इस सूत्र को विस्तार से समझने की आवश्यकता है l गरीबी के क्या कारण है
हमारे धर्म शास्त्र कहते हैं कि लक्ष्मी की उत्पत्ति समुद्र मंथन से हुई यहां समुद्र मंथन ही उद्यम है l बिना उद्यम के लक्ष्मी नहीं आती यह शास्त्र वचन भी उस महात्मा के वचन की ही पुष्टि करता है कि परिश्रम ही पूंजी है l गरीबी के क्या कारण है
एक शायर ने ठीक ही कहा है, एक पत्थर की तकदीर भी संवर सकती है बशर्ते कि सलीके से तराशा जाए l
एक भिखारी महात्मा के पास गया और कहने लगा कि महाराज मेरे पास कुछ नहीं है? क्या तुम अपनी एक आंख दोगे तुम्हें हम बीस हजार दिलवा देंगे आज कल एक किडनी भी पचास हजार रुपए में बिक रही है l खून भी बिक रहा है l
इस प्रकार महात्मजी ने उस भिखारी को बोध करा दिया कि इतना अनमोल शरीर पाकर भी तू अपने को गरीब क्यों बताता है, शहरी से परिश्रम कर गरीबी दूर होगी भीख कब तक मांगता रहेगा चीन में कहावत है कि भीख में मछली नहीं देते बल्कि उसे मछली मारना सिखा देते हैं l
भगवान ने आलसी एवं परिश्रमी दोनों को एक ही प्रकार की शरीर दिया l प्राकृतिक सुविधाएं समय वायु जल आकाश सूर्य धरती आदि भी समान रूप से दीं किसी से कोई भेदभाव नहीं किया सबकी साधना बराबर दिए l
फिर भी एक गरीब रहा गया तथा दूसरा अमीर हो गया l क्यों अमीर बनने की आकांक्षा रखने वाले ने उपलब्ध संसाधनों का सदुपयोग किया एक कहावत है, समय ही धन है, अगर अपने समय को हम बरबाद न करें तो समय के
सदुपयोग तथा अपनी शरीर द्वारा परिश्रम करके पूंजी का निर्माण कर सकते हैं l गरीबी के क्या कारण है
सभी प्राकृतिक शक्तियों एवं सुविधाओं का सदुपयोग हमें अमीर बना देगा l गरीबी के क्या कारण है,
यह भी देखा गया है कि कोइ राजा के घर पैदा होता है, कोई गरीब के घर कोई राजा के घर पैदा होने पर भी गरीब हो जाता है तथा कोई गरीब के घर पैदा होने पर भी अमीर हो जाता है l आपकी अमीरी गरीबी इस पर निर्भर करती है कि आप वर्तमान में
कैसा जीवन जी रहे हैं, अगर राजा के घर पैदा होकर भी आलसी और विलासी होकर आमदनी से अधिक खर्च करेंगे तो गरीब होना निश्चित है l https://janavicomputercourse.com/2025/01/सफलता-के-सूत्र-हिंदी-में-क/
ठीक इसी गरीब के घर पैदा होकर भी पुरुषार्थी संयमी एवं मितव्यई जीवन व्यतीत करेंगे तो हमें अमीर बनने से कोई रोक नहीं सकता l
ये दोनों स्थितियां जीवन में देखने को मिलती हैं, अतः यह केवल तर्क नहीं व्यवहारिक सत्य है l गरीब कौन होता है
यह भी देखा गया है कि गरीबी के लिए लोग अपने भाग्य को कोसते हैं गरीबी के क्या कारण है
या प्रभुकृपा की कमी बताते हैं l तुलसीदास जी ने लिखा है कि कर्म प्रधान विश्व रची रखा यानी जीवन की सारी प्राप्तियां कर्म प्रधान ही हैं l
मन चांग तो कठौती में गंगा का मंत्र तो आलसियों का मंत्र है l जो पुरुषार्थी होगा वह निकल पड़ेगा गंगा की ओर तथा गांग पहुंचकर ही विश्राम लेगा प्रभु की कृपा सभी पर समान रूप से है l गरीबी के क्या कारण है
अंग्रेजी की एक प्रसिद्ध कहावत है, जो स्वयं अपनी सहायता करते हैं, ईश्वर भी उन्हीं की सहायता करता है l यानी जो प्रयास करेगा प्रभु उसी की सहायता करेंगे l
लक्ष्य स्थिर हो और संकल्प में दृढ़ता हो तो सफलता निश्चित है, लेकिन एक बात ध्यान देने की है कि ठोकर वही खाता है, जो चलता है l गरीबी के क्या कारण है
गलतियां उसी से होंगी जो काम करेगा l गलतियां न होने के भय से निष्क्रिय एवं निकम्मा होना गरीब होने की ही प्रक्रिया है,
कठिनाइयों पर विजय प्राप्त करने वाला व्यक्ति ही जीवन में सफल होता है, किसकी ताकत है, जो ऐसे व्यक्ति को गरीब बना सके
महात्माओं को यह कहते सुना जाता है कि बिना प्रभुकृपा के पत्ता तक नहीं हिलता यानी हम जो कुछ भी करते हैं, वह प्रभुकृपा से ही करते हैं l
ऐसी अवस्था में हमारे पाप पुण्य एवं अमीरी गरीबी का भोक्ता प्रभु को होना चाहिए लेकिन होता उलटा है l गरीब कौन होता है
हमें ही अपने किए हुए पाप पुण्य का फल भोगना पड़ता है l गरीबी के क्या कारण है
महात्मा जी की इस उक्ति का रहस्य समझने लायक है l सफल बिजनेसमैन कैसे बनें
शरीर तथा प्राण दो चीजे हैं l बिना प्राण के शरीर बेकार है l ईश्वर ने हमें प्राण दिए हैं l
इस शरीर को प्राणवान करने के बाद उसने हमें कर्म करने के लिए स्वतंत छोड़ दिया ईश्वर ने हम सभी को शक्तियां दीं मन बुद्धि आदि पांच ज्ञानेंद्रियां और पांच कर्मेंद्रियां दीं l
अपनी शक्तियों का सदुपयोग या दुरूयोग करना हमारे विवेक पर निर्भर है,
विवेक को ठीक रखने में सहायक है, शास्त्र संत साधु और संन्यासी इनके बताए मार्ग का अनुसरण करें और अपने विवेक तथा शक्तियों का सदुपयोग करें l
इस सूत्र को ठीक से समझने के लिए एक उदाहरण का सहारा लेना उचित होगा बिजली की मोटर में अगर करंट नहीं तो वह बेकार है l
करंट आने पर उससे हीटर चलाएं चाहूं कूलर यह आप पर निर्भर है l कर्म से फल का मिलना निश्चित है l गरीबी के क्या कारण है
एक और मानवीय कमजोरी है कि मनुष्य अपनी कमियों और कमजोरियों का कारण दूसरों में ढूंढता है l
जब तक वह ऐसा करता रहेगा कभी सुधरेगा नहीं सुधार का प्रथम लक्षण है,गरीबी के क्या कारण है
अपनी अपनी कमी एवं कमजोरी का उत्तर दाई स्वयं को मानना जब वह स्वयं को उत्तर दाई मानेगा तभी यह जानने का प्रयास भी करेगा कि मुझमें कौन सी कमजोरी है और उसे दूर कैसे किया जा सकता है l
अगर अपने से संभलने का उपाय नहीं दिखाई देगा तो वह शास्त्र वचनों का सहारा लेकर या प्रबुद्ध एवं विचारशील लोगों के पास जाकर समाधान पा लेगा l
कहीं न कहीं उसे रास्ता दिखाई देगा और वह अपनी कमियों एवं कमजोरियों पर विजय प्राप्त करेगा गलतियां होना ग़लत नहीं है,
उसे स्वीकार न करना और उसके लिए पश्चाताप न करना l गरीबी के क्या कारण है
बिल क्लिंटन जब अमरीका के राष्ट्रपति हुए तो उन्होंने एक बड़े महत्व की बात कहीं उन्होंने कहा कि मेरी भी कमजोरियों है,
लेकिन मेरी अच्छाइयां मेरी कमजोरियों को नियंत्रित करने के लिए काफी हैं,https://www.quora.com/profile/Rekha-Devi-2144?ch=10&oid=2407798221&share=e02b34fe&srid=3djjWJ&target_type=user
इस लेख का सारांश यही है कि गरीबी कोई ईश्वरीय प्रकोप नहीं उसे आलस्य प्रमाद अपव्यय आदि दुर्गुणों का एकत्रित प्रतिफल ही कहना चाहिए l सफल बिजनेसमैन कैसे बनें
इस परिश्रम से दूर किया जा सकता है अगर कोई गरीब है तो अपने आलस्य एवं निष्क्रियता के कारण वह स्वयं गरीबी दूर कर सकता है l गरीबी के क्या कारण है
परिश्रम एवं अध्यवसाय से मन का संकल्प एवं शरीर का पराक्रम किसी काम में लगा दिया जाए तो गरीबी दूर होना निश्चित है l गरीब कौन होता है
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