सफल बिजनेसमैन हम रास्ता चलते ठोकर क्यों खाते हैं, कारण संभलकर नहीं चलते किन्तु कोई बिजनेसमैन व्यापार में सफलता के सूत्र असफल क्यों असफल क्यों होता है l इसका कोई एक कारण नहीं होता l
अपने बड़े नमी गिरामी लोगों की सफलता के सूत्र पड़े या सुने होंगे l आज मैं आपको एक ऐसे व्यक्ति को सफलता के सूत्रों से परिचित कराउंगा जो प्रसिद्ध न होते हुए भी हमें सफलता के अचूक मंत्र दे गए l
सफल बिजनेसमैन
जिस व्यक्ति के सूत्रो से मैं आपका परिचय करा रहा हूं वे हैं श्री रामप्रसाद पोद्दार अध्यक्ष सेंचुरी मिल बंबई l
पहला सूत्र
समय के अंदर अपना काम पूरा करना उनकी फैक्टरी 9/बजे से साय 5/बजे तक चलती थी l वे ठीक 5/बजे पूरे आफिस की बत्ती बुझा देते थे l वे यह भी कहते थे कि जो समय सीमा में काम पूरा नहीं करता वह नालायक है l
वे हर व्यक्ति से यह अपेक्षा करते थे कि अपने काम को 9/से 5/बजे के अंदर पूरा करें l
दूसरा सूत्र
वे 9/से 5/बजे के बीच आधा घंटे का टिफिन का समय देते थे l कैंटीन में सभी के साथ स्वयं पोदरदरजी भी चाय नाश्ता करते थे बीच में मेज पर चाय कॉफी मांगने की पूरी मनाही थी l
उनका मानना था कि मेज पर चाय कॉफी पीना समय की बरबादी करना है l समय की बरबादी होगी तो काम कम होगा l कामयाबी के सूत्र
तीसरा सूत्र
ऑफिस का सभी स्टफ चपरासी से लेकर अध्यक्ष तक पूरी यूनिफार्म में ही काम पर आते थे l सफल बिजनेसमैन कैसे बने
यूनिफार्म साफ सुथरी ही तथा कायदे से पहनी हो दाढ़ी बाल भी ठीक हों l प्रत्येक कर्मचारी हमेशा चुस्त दुरुस्त लगे यह आवश्यक था l
चौथा सूत्र
घर में व्यापार की कोई बात नहीं करते थे l उनका मानना था कि व्यापार की बात को व्यापार के क्षेत्र में व्यापार के समय में ही करें इससे कर्मचारी में कार्यक्षमता तथा कार्यदक्षता बढ़ती है l
पांचवां सूत्र
उत्पादन का कार्यक्रम एवं लक्ष्य दो माह पहले ही निर्धारित कर देते थे l ताकि लक्ष्य प्राप्ति संदिग्ध न रहें l
छठा सूत्र
उत्पादित मल की अग्रिम बिक्री करके रखते थे ताकि उत्पादित मल हाथ का हाथ खरीददार को भेजा जा सके और स्टॉक में न रहे ऐसा करने से लगता कम आती थी और उत्पादन व रख रखाव के खर्च में बचत होती थी l बिज़नेस में सफलता के सूत्र
सातवां सूत्र
उत्पादित मल की क्वालिटी में किसी प्रकार का समझौता बरदाश्त नहीं था l उत्पादित मल की क्वालिटी बनी रहे उसके लिए कच्चे मल की क्वालिटी भी खरीदते समय पूरी सावधानी से देखी जाती थी l अगर उत्पादित मल की क्वालिटी में किसी
कारण से कमी आ गई तो उसे द्वितीय श्रेणी का बताकर अलग से रिबेट छूट देकर बेच दिया जाता था l
आठवां सूत्र
अपने सभी कर्मचारियों को संतुष्ट रखने के साथ ही काम में पूरी कठोरता बरतना वे सभी कर्मचारियों के सुख दुख के साथी थे l यही कारण था कि सभी कर्मचारी अपनी पूरी क्षमता एवं दक्षता से कार्य करते थे l सफल बिजनेसमैन कैसे बनें l
नौवां सूत्र
अपने उत्पादित मल के विक्रय हेतु उन्होंने सारे देश में एजेंट नियुक्त कर रखें थे l फैक्टरी में कोई समस्या आने पर यदि उनको मल की सप्लाई नहीं कर पाते थे तो एजेंट के ऑफिस का खर्चा क्षतिपूर्ति के रूप में फैक्टरी स्वयं बरदाश्त करती थी l फैक्टरी द्वारा एजेंट का इतना ध्यान रखना देखने में कम मिलता है l सफल बिजनेसमैन
दसवां सूत्र
इनकी फैक्टरी में अनुशासन को देखकर सरकार ने इनको पहले कैप्टन की उपाधि प्रदान की बाद में मेजर की यानी उन्हें लोग मेजर राम प्रसाद पोद्दार कहते थे l
ग्यारहवां सूत्र
श्री पोद्दारजी अपने सिद्धांत के इतने पक्के थे कि अपनी बात अपने मालिकों से भी मनवा लेते थे l इनके मालिक बिड़लाजी श्री पोद्दारर का अत्यधिक सम्मान करते थे l इनकी बातों को बड़े ध्यान से सुनकर स्वीकार करते थे l सफल बिजनेसमैन
बारहवां सूत्र
कार्य साख निर्माण का था l पोद्दारजी अपनी मिल का कपड़ा यूरोप में निर्मात करते थे l रूप की खरीद आती तो ऑर्डर में लिखा होता कि रूस को सेंचुरी मिल का ही कपड़ा चाहिए l इनकी सेंचुरी मिल के कपड़े की इतनी साख थी कि देश में ही नहीं विदेशों में भी मांग बनी रहती थी l सफलता के सूत्र
तेरहवां सूत्र
सूती वस्त्र निर्माण में देश में कॉटन की कमी को देखते हुए सरकार ने कपड़े में 15/प्रतिशत स्टेपल धागा मिलने की अनिवार्यता कर दी थी तथा कपड़े पर शत प्रतिशत सूती धागा से निर्मित लिखने की सुविधा दे रखी थी l
जो मिल 15/प्रतिशत स्टेपुल धागा नहीं मिलती थी l उसे जुर्माना देना पड़ता था l पोद्दार अपने सिद्धांत के पक्के थे l इन्होंने 15/प्रतिशत स्टेपुल धागा मिलाकर 100/प्रतिशत सूती धागे से निर्मित लिखने से इनकार कर दिया सरकार को जुर्माना भरते रहे l
15/साल तक लगातार जुर्माना भरा l जब सरकार द्वारा यह अनिवार्यता समाप्त कर दी गई तब सरकार ने इन्हें पुरस्कार देकर सम्मानित किया ईमानदारी के साथ समझौता करना इन्हें स्वीकार नहीं था l
भले ही जुर्माना भरना पड़े यह था श्री पोद्दारजी का साफ सुधरा अनुकरणीय चरित्र l
चौदहवां सूत्र
वाराणसी में श्री दीनदयाल जालान के यहां सेंचुरी मिल का कपड़ा आता था l श्री पोद्दारजी वाराणसी आए और श्री जालान से मिले l श्री जलनजी ने कपड़े पर छपाई में अंतर बताया और कहा कि एक ही कपड़ा अलग अलग स्थानों पर मिल का मार्का
बदलकर दिया जाता है तथा मूल्य में भिन्नता भी रहती है, ऐसा क्यों वही कपड़ा जब किसी को कम रेट में आप बेचेंगे तो हमसे ऊंचे रेट में कौन खरीदेगा श्री पोद्दारजी ने सारी समस्या सुनी एवं समझी l अपनी मिल की इस समस्या से वे सर्वथा अनभिज्ञ थे l
उन्होंने जलनजी से आधा मीटर कपड़ा छपाई वाला हिस्सा कटवाकर ले लिया तथा अपनी मिल में जाकर जांच कराई l जिस उच्च अधिकारी ने ऐसा काम किया था उसे तत्काल सेवा मुक्त कर दिया l
पंद्रहवां सूत्र
पोद्दारजी की मिल में उत्पादित कपड़े की क्वालिटी की साख श्रेष्ठतम थी l उसी प्रकार का कपड़ा बिड़लाजी की अन्य मिलों में भी बनता था l लेकिन कीमत में 10/से 17/प्रतिशत तक कम में बिकता था l https://janavicomputercourse.com/2025/02/हड़ताल/
अन्य मिलों में उत्पादित कपड़ों की कीमत कम होने पर भी बेचने में दिक्कत होती थी l जबकि पोद्दारजी की मिल का कपड़ों बनने से पहले ही बिक जाता था l बिजनेस में सफलता के सूत्र
सोलहवां सूत्र
पोद्दारजी का अपने अधीनस्थ कर्मचारियों पर पूरा आत्मीय प्रभाव था l प्रत्येक कर्मचारी उन्हें अपना समझता था l एक बार मिल की एक मशीन में टूट फूट हो गई तथा उत्पादन बाधित हुआ पोद्दारजी को कर्मचारियों ने बताया कि मशीन की खराबी ठीक होने
में 4/दिन लगेगे पोद्दारजी प्लांट में गए प्रभावित मशीन का जायजा लिया और आदेश दिया कि 4/घंटे में मशीन ठीक करके रिपोर्ट करें उन्हीं कर्मचारियों ने चार दिन के कार्य को 4/घंटे में कर दिखाया और गर्व से पोद्दारजी को रिपोर्ट दी l यह है पोद्दारजी का अपने कर्मचारियों पर आत्मीय प्रभाव का फल l सफल बिजनेसमैन
सत्रहवां सूत्र
पोद्दारजी अपने कार्यालय में अधिकारियों के साथ मीटिंग कर रहे थे l बिड़लाजी का फोन आया वे पोद्दारजी में बात करना चाहते थे l पोद्दारजी ने कहलवा दिया कि वे अभी मीटिंग में हैं l पुनः फोन आया फिर भी मीटिंग छोड़कर बात नहीं की मीटिंग की
समाप्ति पर गए और बिड़लाजी से बात करके सारी स्थिति स्पष्ट कर दी श्री बिड़ला ने पोटादरजी की कर्त्तव्य निष्ठा की प्रशंसा की
अठारहवां सूत्र
पोद्दारजी का ड्राइवर उनके फैक्टरी जाने के समय उनकी कार से उनकी पत्नी को लेकर बाजार चला गया l पोद्दारजी ने तत्काल उसे सेवा मुक्त कर दिया l
ड्राइवर ने बताया कि वह माताजी की सेवा में था l पोद्दारजी ने उससे पूछा कि तुम माताजी के ड्राइवर हो या मेरे माताजी ने ड्राइवर को रखने का आग्रह किया तो श्री पोद्दार नहीं माने नतीजा हुआ कि माताजी ने अनशन कर दिया l
माताजी दो दिन तक अनशन पर रही l माताजी के अनशन पर द्रवित होकर उन्होंने इतना ही कहा कि इसे रख लेता हूं,
लेकिन अब यह मेरी ड्यूटी में नहीं रहेगा l इसे कहते हैं अनुशासन और उसका कठोरता से पालन l
श्री पोद्दारजी के सारे सूत्र अत्यंत ही व्यवहारिक एवं अनुकरणीय है l
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मैं भी इन सूत्रों के महत्व को पूर्णतया स्वीकार करता हूं l मेरा पूर्ण विश्वास है l
कि इन सूत्रों को अपना कर कोई भी बिजनेसमैन सफल हो सकता है l https://www.quora.com/profile/Rekha-Devi-2144?ch=10&oid=2407798221&share=e02b34fe&srid=3djjWJ&target_type=user
इन सारे सूत्रों के मूल में उनकी ईमानदारी अपने कर्मचारियों के प्रति आत्मीय व्यवहार समय की पाबंदी क्वालिटी के साथ समझौता न करना शिकायत मिलने पर तत्काल कार्रवाई कार्य समय के अंदर कार्य संपादित करने की क्षमता एवं दक्षता का विकास और अनुशासन में
किसी प्रकार की ढील न देना है l इन सूत्रों को जो अपना लेगा उसकी सफलता की कोई नहीं रोक सकता l सफल बिजनेसमैन
Hii friends post जरूर पढ़ें अपना फीडबैक जरूर दें l post पढ़ने में कैसे लगा पूरी जानकारी पोस्ट में लिखा है l